भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान

फसल उत्पादन विभाग/ फसल सुधार विभाग

फसल उत्पादन विभाग

शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र उच्च तापमान, तीव्र हवा वेग, उच्च वाष्पोरत्सेर्जन, नमी की न्यूहनता, कम और अनियमित वर्षा, मिट्टी उर्वरता में कमी, तीव्र रिसाव, भूमिगत जल स्तोर का गिराव आदि प्रतिकूल जलवायु और भूमिगत स्थितियों के द्वारा जाना जाता है जिससे बागवानी फसलों की खेती पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, फलस्व्रूप क्षेत्र की जलवायु और भूमिगत स्थिति के प्रतिकूल प्रभाव से उत्पादकता कम होती है। इसके लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता है। इस विभाग द्वारा प्रवर्धन, रोपण प्रणाली, छत्रक प्रबंधन, पौध वास्तु अभियांत्रिकी, फसल विविधता, उत्पाद आधारित खेती, जैविक खेती, मिट्टी उर्वरता और जल प्रबंधन से संबंधित कार्य सम्पािदित किए जाएंगे।

एकीकृत रोग और कीट, शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र के व्य वसायिक फल और सब्जी फसलों के निमेटोड और वायरस प्रबंधन, कमियों का विश्लेषण, हस्तांदतरण, प्रभाव आकलन और प्रौद्योगिकी का शोधन, किसानों और विकास एजेंसियों में क्षमता निर्माण के लिए बुनियादी और अनुप्रायोगिक अनुसंधान पर कार्य किया जाएगा ।


उद्देश्य:
  1. शुष्क बागवानी फसलों के उत्पा‍दन के लिए सस्यनक्रियाएं विकसित करना।
  2. शुष्क बागवानी फसलों से मूल्यत संवर्धित उत्पासद विकसित करना।
  3. शुष्क एवं अर्ध शुष्कू बागवानी फसलों के लिए जल एवं पोषण प्रबंधन तकनीकी विकसित करना।
  4. शुष्क एवं अर्ध शुष्कू बागवानी फसलों के लिए मुख्यं रोगों के जैव रसायनिक उपायों सहित समेकित रोग और कीट प्रबंधन प्रणाली विकसित करना।
  5. शुष्क एवं अर्ध शुष्कू क्षेत्रों में बाजारोन्मु्ख अध्यगयन करना।
  6. लक्षित फसलों के उत्पािदन हेतु मावन संसाधन विकसि‍त करना।


फसल सुधार विभाग

शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र अवस्थित प्रतिकूल जलवायु रहते हुए भी विस्तृत आनुवंशिक विविधता संजोए हुए है । यह स्थिति सूखा, लवणता और उच्च तापमान प्रतिरोध जीनों के लिए एक जीन भण्‍डार का अवसर प्रदान करती है। जलवायु बदलाव परिदृश्य के दृष्टिगत यह क्षेत्र जलवायु और अजैविक कारकों में एक बदलाव का सामना कर रहा है।

यह विभाग, शुष्क बागवानी फसलों में सुधार के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण एवं विशिष्ट चित्रण के मुद्दों पर कार्य करेगा। आधुनिक जैव प्रौद्योगिकीय दृष्टिकोण को भी वार्षिक फल फसलों के आणविक चित्रण एवं द्रुत बहुलीकरण के लिए नियोजित किया जाएगा। इसके साथ ही इस विभाग में समेकित कीट प्रबंधन और समेकित व्‍याधि प्रबंधन के तहत परागणों की पहचान और पोषिता परजीवी सम्‍पर्क से संबंधित मुद्दों को देखा जाएगा।

उद्देश्‍य :

  1. जैविक अजैविक प्रतिदाब सहिष्‍णु किस्‍में विकसित करना।
  2. जैव प्रौद्योगिकी की सहायता से शुष्क बागवानी फसलों में तीव्र गति से बहुलीकरण करने की प्रक्रिया का विकास करना।
  3. मार्कर समर्थित प्रजनन के द्वारा व्‍यवसायिक किस्‍मों में मनचाहे जीनों का हस्‍तांतरण।
  4. शुष्‍क बागवानी फसलों में वर्तिकाग्र ग्रहणशीलता के आधार तंत्र एवं पोषिता परजीवी सम्‍पर्क और रूपांतरण तंत्र को समझना।
  5. शुष्‍क बागवानी फसलों के सुधार के लिए मावन संसाधन विकास कार्यक्रम पर कार्य करना।
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